"तोरा मन दर्पण कहलाये"
मन कई दिनों से शिकायतनामे में शिकायत दर्ज करा रहा था - मेरी हालत ठीक नहीं। तो सोचा आज झाँक के देख ही लिया जाए कि दिक्कत क्या है! ग़ौर फ़रमाइये ये वही मन है, जिसमें आज तक अपनी ही सूरत (और सीरत) नज़र आई है।
पर ये क्या! आज तो यहाँ किसी और की-सी ही सूरत दिख रही है। कोई थका, निस्तेज चेहरा; एक तुच्छ, कमीना-सा व्यक्तित्व। बुझी हुई आँखें।
कौन हो तुम और क्यूँ मेरे मन को अंदर ही अंदर खाए जो रहे हो? - मेरी आवाज़ मानो किसी कुएँ की गहराई में समा गयी।
"पहचानो, मैं तो वही हूँ, तुम्हारा बचपन का दोस्त। तुमने मुझको मार डाला, अब मेरी बारी है। "
मन कई दिनों से शिकायतनामे में शिकायत दर्ज करा रहा था - मेरी हालत ठीक नहीं। तो सोचा आज झाँक के देख ही लिया जाए कि दिक्कत क्या है! ग़ौर फ़रमाइये ये वही मन है, जिसमें आज तक अपनी ही सूरत (और सीरत) नज़र आई है।
पर ये क्या! आज तो यहाँ किसी और की-सी ही सूरत दिख रही है। कोई थका, निस्तेज चेहरा; एक तुच्छ, कमीना-सा व्यक्तित्व। बुझी हुई आँखें।
कौन हो तुम और क्यूँ मेरे मन को अंदर ही अंदर खाए जो रहे हो? - मेरी आवाज़ मानो किसी कुएँ की गहराई में समा गयी।
"पहचानो, मैं तो वही हूँ, तुम्हारा बचपन का दोस्त। तुमने मुझको मार डाला, अब मेरी बारी है। "
hey.
ReplyDeletewhat's this abt??
who's she referring to??
hey.
ReplyDeletewhat's this abt??
who's she referring to??